RELATION BETWEEN STUDENTS AND TEACHER
टीचर या शिक्षक का शाब्दिक अर्थ होता है एक ऐसा व्यक्तित्व जो शिक्षा प्रदान करता है!वहीं स्टूडेंट या छात्र/ छात्रा उसे समझा जाता है जो शिक्षा प्राप्त करता है!
कहां जाता है कि बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता है! इस अर्थ से यह पता चलता है कि ज्ञान का संबंध सीधे गुरु या शिक्षक से है! अगर हमें ज्ञान प्राप्त करना है तो किसी ना किसी शिक्षक की बात माननी पड़ेगी उसका अनुसरण करना पड़ेगा! किसी भी बच्चे का सबसे पहला स्कूल उसका घर परिवार होता है और पहले शिक्षक माता-पिता होते हैं! ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें रहन-सहन के तौर तरीके सिखाने पड़ते हैं और यह काम माता पिता ही करते हैं! क्योंकि इतना ज्ञान किसी बच्चे को सफल जीवन गुजारने के लिए काफी नहीं होते हैं इसीलिए बच्चे को किसी शिक्षण संस्थान में भेजा जाता है! और वहां उन्हें गुरु के रूप में किसी ना किसी शिक्षक या शिक्षिका का मार्गदर्शन मिलता है! जिसके द्वारा वह समाज के लिए एक योग्य इंसान बन पाता है! जिस तरह एक पत्थर को तराश कर मूर्तिकार उसे एक मूरत प्रदान करता है उसी तरह एक शिक्षक किसी बच्चे को तराश कर सफल जीवन जीने का मूल मंत्र सिखाता है ताकि वह अपने जीवन में सफल हो सके और दूसरों के लिए सहयोगी बन सके एक प्रेरणा स्रोत बन सके! इस तरह से देखा जाए तो एक शिक्षक और छात्र का जो रिश्ता है उसे शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है!
मोहम्मद शहाबुद्दीन
Writer,Motivater, Wellness And Fitness Coach.